Welcome to Lakshmi Narayan Mahavidyalaya

निर्मित नया महाविद्यालय, उस पर लिखी कहानी,
लौह पुरूष लक्ष्मी नारायन, की यह अमर निशानी।
प्रकाश ज्ञान जलया जिसने, हँसता हुआ चमन है,
शिक्षा के उस अमर दूत को, श्रृद्धा सहित नमन है।
लक्ष्मी नारायन महाविद्यालय, ईटें बोल रही है,
किसी यशस्वी के गौरव को, झुककर तोल रही है।
अखबारों में छपने वाले, प्राय मिट जाते है,
इतिहासों में छपने वाले नाम सिमट जाते है।
शिक्षा की आधारशिला पर, नाम लिखने वाले,
उनको कौन मिटा सकता है मिटे मिटाने वाले।
है स्वर्गीय दूबेजी की भी लगभग यही कहानी,
वे क्षेत्रिय मदन मोहन थे, शिक्षा के विज्ञानी।
महाविद्यालय निर्मित करके विद्या प्रेम दिखाया,
भीषण ऐसे अन्धकार मे ज्ञान प्रकाश जलाया।
हरा भरा उसका उपवन है, मंहक रही फूलवारी,
तरह-तरह के फूल खिले है, कुसुमित क्यारी-क्यारी।
तुलसी,सूर, कबीर, बिहारी, नित्य यहाँ आते है,
दिनभर अपनी गाथा सुनकर पुन; चले जाते है।
कालीदास, भवभूति, भारती का है यहाँ बसेरा,
भभ, सर जगदीश चन्द्र की यहाँ लगते फेरा।
लेकिन इन उपवन का माली, अपने बीच नही है,
लगता मुझे अस्थि का दानी यहाँ दधीच नही है।
फिर भी उसके उपवन का हंसता हुआ चमन है,
सरस्वती के इस सेवक को, श्रृद्धा सहित नमन है।
रामवृक्ष सिंह प्रचण्ड
कैथवली
से. नि. प्रवक्ता